The Ultimate Guide To Shodashi
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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।
Her 3rd eye signifies greater perception, supporting devotees see further than Actual physical appearances towards the essence of truth. As Tripura Sundari, she embodies adore, compassion, and the joy of existence, encouraging devotees to embrace daily life with open up hearts and minds.
Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a sense of Group and spiritual solidarity amid devotees. For the duration of these functions, the collective Strength and devotion are palpable, as individuals engage in several forms of worship and celebration.
The supremely wonderful Shodashi is united in the guts in the infinite consciousness of Shiva. She gets rid of darkness and bestows gentle.
प्रणमामि महादेवीं परमानन्दरूपिणीम् ॥८॥
काञ्चीपुरीश्वरीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१०॥
देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
हादिः काद्यर्णतत्त्वा सुरपतिवरदा कामराजप्रदिष्टा ।
तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार click here को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।
ಓಂ ಶ್ರೀಂ ಹ್ರೀಂ ಕ್ಲೀಂ ಐಂ ಸೌ: ಓಂ ಹ್ರೀಂ ಶ್ರೀಂ ಕ ಎ ಐ ಲ ಹ್ರೀಂ ಹ ಸ ಕ ಹ ಲ ಹ್ರೀಂ ಸ ಕ ಲ ಹ್ರೀಂ ಸೌ: ಐಂ ಕ್ಲೀಂ ಹ್ರೀಂ ಶ್ರೀಂ